आज देखा जाए तो दो दशक बीत गए हैं लेकिन वह रोंगटे खड़े कर देने वाली फ्लेशबैक्स और दिल को दहला देने वाली यादें अब भी साफ़ हैं। कारगिल सिर्फ़ एक किस्सा या घटना नहीं बल्कि एक दौर था, जो अनंत काल के लिए भारत के इतिहास में गढ़ा जा चुका हैं — एक ऐसा दौर जिसकी बातें हमारी आने वाली न जाने कितनी ही पीढ़ियाँ करेगी।
1999 की मई-जून ने न सिर्फ़ भारत के बेटे, पिता और भाइयों को खोया था बल्कि कई बहादुर फौजियों को अमर भी कर दिया था।
उनकी कमी तो भर पाना नामुमकिन हैं पर कम से कम हम उन्हें अपने किस्से, कहानियाँ, और जज़्बातों में ज़ाहिर तो कर सकते हैं। किसी के चले जाने पर उनके परिवार पर क्या बीतती हैं यह मुझे बेशक पता हैं लेकिन इन शूरवीरों की शहीदी पर उनके परिवार को फक्र हुआ था — यक़ीनन आज भी हैं।
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर, आज मैं आपसे इन्हीं शूरवीरों के परिवारों की कुछ उपाख्यान सांझा करना चाहती हूँ जो उनके इस फक्र और ताउम्र जीते गौरव और प्रेम को दर्शाता हैं।
कैप्टन विक्रम बत्रा
अगर आप विक्रम बत्रा को नहीं जानते तो यक़ीन मानिये मुझे नहीं लगता कि आप इस देश से वास्ता रखते हैं। कारगिल युद्ध के दौरान इस शूरवीर का दुश्मनों में एक अलग ही ख़ौफ़ क़ायम हो गया था। संभवतया वे उन सिपाहियों में से एक थे जिनकी शहीदी पर दुश्मनों ने भी सलामी दी होगी।